पितृदोष के लक्षण और निवारण----




पितृदोष के लक्षण और निवारण----
—–घर में आय की अपेक्षा खर्च बहुत अधिक होता है।
—-घर में लोगों के विचार नहीं मिल पाते जिसके कारण घर में झगडे होते रहते है।
—–अच्छी आय होने पर भी घर में बरकत नहीं होती जिसके कारण धन एकत्रित नहीं हो पाता।
—–संतान के विवाह में काफी परेशानीयां और विलंब होता है।
—–शुभ तथा मांगलीक कार्यों में काफी दिक्कते उठानी पडती है।
—-अथक परिश्रम के बाद भी थोडा-बहुत फल मिलता है।
—-बने-बनाए काम को बिगडते देर नहीं लगती।
उपाय पड़ने के लिए नीचे लिंक पर या फ़ोटो पर क्लिक करें--
इन उपायों से होगा लाभ----
1-घर में कभी-कभी गीता पाठ करवाते रहना चाहिए।
2-प्रत्येक अमावस्या को ब्राहमण भोजन अवश्य करवायें।
3-ब्राहमण भोजन में पूर्वजों की मनपसंद खाने की वस्तुएं अवश्य बनायी जाए।
4-ब्राहमण भोजन में खीर अवश्य बनाए।
5-हर रोज कम से कम पच्चीस मिनट के लिए खिड़की जरुर खोलें, इससे कमरे से नकारात्मक उर्जा बाहर निकल जाएगी और साथ ही सूरज की रोशनी के साथ घर में सकारात्मक उर्जा का प्रवेश हो जाएगा।
6-प्रत्येक मास का प्रथम दिन अग्निस्वरूप होता है। इस दिन अग्नि पूजा अवश्य करनी चाहिए। अग्नि सब प्रकार के गुणों को प्रज्वलित करती है और वास्तु में अग्नि तत्त्व को क्रियाशील करती है। अग्नि की पूजा करने वाला तेजस्वी बनता है।
7-साल में एक दो-बार हवन करें।
8-घर में अधिक कबाड़ एकत्रित ना होने दें।
9-शाम के समय एक बार पूरे घर की लाइट जरूर जलाएं।
10-घर में हमेशा चन्दन और कपूर की खुशबु का प्रयोग करें।
11-घर या वास्तु के मुख्य दरवाजे में प्रतिदिन सुबह मुख्य द्वार के सामने हल्दी, कुमकुम से स्वास्तिक, कलश आदि आकारों से रंगोली बनाकर देहरी एवं रंगोली की पूजा कर परमेश्वर से प्रार्थना करनी चाहिए कि ‘हे ईश्वर ! मेरे घर व स्वास्थ्य की अनिष्ट शक्तियों से रक्षा करें।’ आधुनिक वातावरण में संभव न हो तो गौमूत्र से बनी फिनाइल का उपयोग भी उपयुक्ति फल देता है।
12-प्रवेश द्वार के ऊपर बाहर की ओर गणपति अथवा हनुमानजी का चित्र लगाना एवं आम, अशोक आदि के पत्ते का तोरण (बंदनवार) बाँधना भी मँगलकारी है।
13-यदि पीने के पानी का स्थान उत्तर या उत्तर-पूर्व में भी है तो भी उसे उचित माना गया है और उस पर भी पितृ के निमित्त दीपक लगाने से पितृदोष का नाश होता है क्योंकि पानी में पितृ का वास माना गया है और पीने के पानी के स्थान पर उनके नाम का दीपक लगाने से पितृदोष की शांति होती है ऐसी मान्यता है..
14-प्रत्येक अमावस्या के दिन अपने पितरों का ध्यान करते हुए पीपल के पेड़ पर कच्ची लस्सी, थोड़ा गंगाजल, काले तिल, चीनी, चावल, जल तथा पुष्प अर्पित करें और 'ॐ पितृभ्य: नम:' मंत्र का जाप करें। उसके बाद पितृसूक्त का पाठ करना शुभ फल प्रदान करता है।
15-प्रत्येक संक्रांति, अमावस्या और रविवार के दिन सूर्य देव को ताम्र बर्तन में लाल चंदन, गंगा जल और शुद्ध जल मिलाकर 'ॐ पितृभ्य: नम:' का बीज मंत्र पढ़ते हुए तीन बार अर्घ्य दे।
16-प्रत्येक अमावस्या के दिन दक्षिणाभिमुख होकर दिवंगत पितरों के लिए पितृ तर्पण करना चाहिए। पितृस्तोत्र या पितृसूक्त का पाठ करना चाहिए।

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