केले का पौधा बदल देगा आपकी किस्मत

धन-वैभव के कारक ग्रह शुक्र से प्रभावित इन राशियों पर पर कुबेर की कृपा बरसने वाली है।

जिस तरह सभी जानवरों में सिंह (शेर) सबसे अधिक शक्तिशाली होता है, उसी प्रकार सभी नक्षत्रों में बलवान (राजा) पुष्य नक्षत्र होता है। जो व्यक्ति के सभी प्रकार के दोषों को दूर करता है। गोचर में चौथे, आठवें, बाहरवे स्थान पर चंद्रमा होने पर भी पुष्य नक्षत्र कार्यों को सिद्ध करता है। जिसके लिए संस्कृत में एक विशेष श्लोक दिया गया है।


श्ग्रहेण बिजोऽथाशु.भान्वितोऽपि। करोत्यवश्यंसकलार्थ सिद्धि विहाय पाणिग्रहणं पुष्यः।।

अर्थात – पुष्य नक्षत्र ग्रहविद्ध होने या पाप ग्रह युक्त होने और तारा के प्रतिकूल होने पर भी सम्पूर्ण कार्यों को सिद्ध करता है, केवल विवाह को छोड़कर।

ऐसे में पुष्य अमृत योग सोने पर सुहागा के रूप में कार्य करता है। जब गुरुवार या रविवार को पुष्य नक्षत्र पड़ता है तो उसे गुरु पुष्य अमृत योग कहा जाता है। जिसमे ‘रवि पुष्य’ तंत्र-मंत्र की सिद्धि एवं जड़ी-बूटी ग्रहण करने में तथा “गुरु-पुष्य” व्यापारिक एवं आर्थिक लाभ के कामों में विशेष रूप से उपयोगी होता है। शुक्रवार को पुष्य उत्पात योग होने के कारण सभी कार्यों में वर्जित है।

बुधवार को संध्याकाल होने के पश्चात केले के पेड़ पर जल चढ़ाकर हल्दी से तिलक करने के बाद गुरु ब्रहस्पति का स्मरण कर उस केले के पेड़ से उसकी जड़ निकालने कि अनुमति मांग लें और वहां से वापस लौट आयें।

इसके बाद अगले दिन गुरूवार को सूर्योदय से पूर्व उस केले के पेड़ के समीप जाकर उसकी जड़ का एक छोटा सा टुकड़ा निकालकर अपने घर ले आयें और उस टुकड़े को गंगाजल से धोने के बाद केसर के जल में डाल दें।

इसके बाद घी का एक दीपक जलाकर उसके समक्ष उस टुकड़े को केसर के जल सहित रखकर “ॐ ब्रह्स्पते नमः” मंत्र का जाप कर उसकी एक जाप माला पूर्ण करने के बाद उस जड़ के टुकड़े को निकालकर किसी पीले कपड़े में बांधकर अपने धन रखने के स्थान पर रख दें। तत्पश्चात गरीब बच्चों को मिष्ठान दान करें। ऐसा करने से आपके जीवन में माता लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहेगी और कभी भी धन का आभाव नहीं होगा।

केले के पेड़ के पास जाकर केले के पेड़ की जड़ लेनी है, उसके बाद आपको चुपचाप उस जड़ को लाकर अपने पास में रखनी है उसके बाद उस जड़ को गंगाजल से धो लें एवं पीला धागा बांधकर उसे अपनी तिजोरी या पर्स में हमेशा रखें। उसके बाद आपके धन प्राप्ति के मार्ग जल्दी से जल्दी खुलेंगे और आपके जीवन में सुख समृद्धि एवं तरक्की से आपका जीवन खुशहाल हो जाएगा। शास्त्रों में केले के पेड़ को देवगुरू बृहस्पति के समान माना जाता है और ऐसा माना जाता है जो पुखराज रत्न धारण नहीं कर सकता वो केले के पेड़ की जड़ पहन सकता है।

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक केले के पेड़ में साक्षात देवगुरु बृहस्पति का वास होता है और गुरुवार का दिन भगवान बृहस्पति यानी कि भगवान विष्णु का दिन होता है। ऐसे में अगर आप गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा करते हैं तो आप पर भगवान बृहस्पति की आप पर कृपा होगी। गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा करने से बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है और ऐसे लोगों की शादी में रुकावटें नहीं आतीं। यही नहीं उसकी सभी मनोकामनाएं भी पूरी हो जाती हैं। गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा करने वाले व्यक्त‍ि के परिवार की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है और परिवार में खुशियां भी आती हैं।

शास्त्रों के अनुसार केले के पत्ते शुभ माने जाते हैं और प्राचीन समय से ही पूजा में इनका विशेष महत्व है।

यह माना जाता है कि केले और भगवान विष्णु में गहरा संबंध है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार केले के पेड़ में साक्षात देवगुरु बृहस्पति का वास होता है। ज्योतिष के मुताबिक शुभ कार्यों, बृहस्पति की कृपा पाने के लिए केले का पत्ता और फल का इस्तेमाल करना चाहिए।

केले का पेड़ काफी पवित्र पेड़ होता है। पीला कपड़ा अपने सिर पर रख कर या कंधे पर रखकर वहां पर जाना हैं। ऐसा कहा जाता है कि इसमें भगवान विष्णु का वास होता है। अगर लोग बृहस्पतिवार को केले के पेड़ की पूजा करते हैं तो उनका देवगुरु “वृहस्पति” ग्रह मजबूत होता है।

शास्त्रों के अनुसार गुरुवार के दिन केले की पूजा और व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और कन्याओं को मनवांछित फल मिलता है। ज्योतिष में माना जाता है कि अगर किसी व्यक्ति को मांगलिक दोष हों तो केले के पेड़ से शादी करने से मांगलिक दोष दूर हो जाता है। ज्योतिषशाचार्य पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार केले के पत्तों को सभी शुभ कार्यों में इस्तेमाल किया जाता है। मंगल कार्यों के दौरान इसे दरवाजों में या पूजा स्थल पर लगाना बेहद शुभ माना जाता है।पण्डित दयानन्द शास्त्री के अनुसार परिवार की सुख-समृद्धि और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को केला चढ़ाया जाता है। इससे परिवार की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है और परिवार में खुशियां आती है।

जिस तरह सभी जानवरों में सिंह (शेर) सबसे अधिक शक्तिशाली होता है, उसी प्रकार सभी नक्षत्रों में बलवान (राजा) पुष्य नक्षत्र होता है। जो व्यक्ति के सभी प्रकार के दोषों को दूर करता है। गोचर में चौथे, आठवें, बाहरवे स्थान पर चंद्रमा होने पर भी पुष्य नक्षत्र कार्यों को सिद्ध करता है। जिसके लिए संस्कृत में एक विशेष श्लोक दिया गया है –

श्ग्रहेण बिजोऽथाशु.भान्वितोऽपि। करोत्यवश्यंसकलार्थ सिद्धि विहाय पाणिग्रहणं पुष्यः।।

अर्थात – पुष्य नक्षत्र ग्रहविद्ध होने या पाप ग्रह युक्त होने और तारा के प्रतिकूल होने पर भी सम्पूर्ण कार्यों को सिद्ध करता है, केवल विवाह को छोड़कर।

ऐसे में पुष्य अमृत योग सोने पर सुहागा के रूप में कार्य करता है। जब गुरुवार या रविवार को पुष्य नक्षत्र पड़ता है तो उसे गुरु पुष्य अमृत योग कहा जाता है। जिसमे ‘रवि पुष्य’ तंत्र-मंत्र की सिद्धि एवं जड़ी-बूटी ग्रहण करने में तथा “गुरु-पुष्य” व्यापारिक एवं आर्थिक लाभ के कामों में विशेष रूप से उपयोगी होता है। शुक्रवार को पुष्य उत्पात योग होने के कारण सभी कार्यों में वर्जित है। यहाँ हम 2019 गुरु पुष्य योग की तिथि दे रहे हैं।

जानिए किन कार्यों के लिए शुभ होता है गुरु पुष्य अमृत योग?

गुरु पुष्य योग बहुत शुभ और लाभकारी होता है इसलिए इसे गुरु पुष्य अमृत योग भी कहा जाता है।पण्डित दयानन्द शास्त्री ने बताया कि गुरु पुष्य अमृत योग में निम्नलिखित कार्यों को करना अत्यंत शुभ माना जाता है –

किसी नई बिल्डिंग / इमारत की नींव रखने के लिए

अपने गुरु, दादा या पिता से किसी तरह का ज्ञान या मंत्र-तंत्र सीखना।

नई दुकान या मकान का उद्घाटन करना।

यह मुहूर्त सोना या कोई आभूषण खरीदने के लिए बहुत शुभ माना जाता है।

नया घर खरीदना।

नए घर में शिफ्ट करना।

किसी बड़े कॉन्ट्रैक्ट या डील को साइन करना।

ये होंगें वर्ष 2019 में गुरु पुष्य अमृत योग मुहूर्त —

तारीख दिन घं. मि से घं. मि. तक

20 जनवरी 2019 रविवार 29:22+ 30:48+

21 जनवरी 2019 सोमवार 06:48 26:27+

17 फरवरी 2019 रविवार 16:46 30:35+

18 फरवरी 2019 सोमवार 06:34 14:02

16 मार्च 2019 शनिवार 26:13+ 30:10+

17 मार्च 2019 रविवार 06:09 24:12+

13 अप्रैल 2019 शनिवार 08:59 29:41+

14 अप्रैल 2019 रविवार 05:40 07:40

10 मई 2019 शुक्रवार 14:21 29:19+

11 मई 2019 शनिवार 05:19 13:13

6 जून 2019 गुरुवार 20:28 29:10+

7 जून 2019 शुक्रवार 05:10 18:56

3 जुलाई 2019 बुधवार 28:39+ 29:15+

4 जुलाई 2019 गुरुवार 05:15 26:30+

31 जुलाई 2019 बुधवार 14:41 29:27+

1 अगस्त 2019 गुरुवार 05:28 12:12

27 अगस्त 2019 मंगलवार 25:13+ 29:39+

28 अगस्त 2019 बुधवार 05:40 22:55

24 सितंबर 2019 मंगलवार 10:31 26:50+

25 सितंबर 2019 बुधवार 05:50 08:53

21 अक्टूबर 2019 सोमवार 07:32 30:02+

22 अक्टूबर 2019 मंगलवार 06:03 16:39

17 नवंबर 2019 रविवार 22:59 30:19+

18 नवंबर 2019 सोमवार 06:20 22:21

14 दिसंबर 2019 शनिवार 29:03+ 30:38+

15 दिसंबर 2019 रविवार 06:39 28:01+

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