शनि ग्रह को अकसर एक दुष्ट और परेशान करने वाले ग्रह के रूप में देखा जाता है। ज्योतिष पर आस्था रखने वाले लोगों के मन में शनि ग्रह को लेकर कई तरह की भ्रांतियां हैं।
शनि की भूमिका (Effects of Saturn in Lal Kitab Kundali)
ज्योतिष मतो के अनुसार सूर्य देव के पुत्र शनि दंड के देवता है। मानव अपने जीवन में जो बुरे कार्य करता है उसे उसका दंड अवश्य मिलता है और यह दंड शनि देव देते हैं। लाल किताब कुंडली में शनि ग्रह अगर पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाव में हो तो अशुभ फल देते हैं।
Lal Kitab Remedies for Shani (Saturn)
शनि के दोषयुक्त होने या अशुभ फल से बचने के लिए लाल किताब में कई तरह के उपायों का वर्णन किया गया है जिनमें से कुछ निम्न हैं:
*लाल किताब कुंडली के प्रथम भाव या घर में बैठे शनि के प्रकोप से बचने के लिए जातकों को बंदरों की सेवा और केले के पेड़ में दूध देने जैसे उपाय बताएं जाते हैं।
*द्वितीय भाव में बैठे शनिदेव की पीड़ा शांत करने के लिए 43 दिन नंगे पांव मंदिर जाना चाहिए और सांपों को दूध अर्पित करना चाहिए।
*तीसरे भाव में बैठे शनि देव के कारण अगर जातक को कुछ अशुभ परिणामों का सामना करना पड़ रहा है तो उसे तीन कुत्तों की सेवा करने की सलाह दी जाती है। साथ ही ऐसे जातको को आंख की दवाई दान देने को कहा जाता है।
*चौथे भाव में बैठे शनि देव की पीड़ा शांत करने के लिए लाल किताब ज्योतिषी सांप को दूध और गाय व बैल को दूध-चावल खिलाने की सलाह देते हैं।
*पांचवे भाव या घर में अगर शनि नीच फल देने वाले हैं तो लाल किताब के उपायनुसार जातक को लड़के के जन्मदिन पर नमकीन चीजें बांटने की सलाह दी जाती है। साथ ही ऐसे जातकों को मंदिर में बादाम बांटने और उनमें से कुछ अपने घर में लाने की सलाह दी जाती है।
*कुंडली में अगर शनिदेव छठे भाव में आकर जातक को उपेक्षित फल दें तो जातक को काले कुत्ते की सेवा करनी चाहिए। कहा जाता है कि ऐसी स्थिति में बहते हुए पानी में नारियल और बादाम बहाना भी शुभ होता है।
*सातवें भाव में विराजमान सूर्यपुत्र शनि के दंड से बचने के लिए जातक को चीनी सहित एक बंसी जमीन में दबाने और काली गाय की सेवा करने के सलाह दी जाती है।
*लाल किताब के अधिकतर जानकार बताते हैं कि आठवें भाव के अगर शनिदेव नीच फल देवें तो जातक को चांदी का एक आयताकार टुकड़ा जमीन में दबा देना चाहिए।
*लाल किताब के अनुसार अगर शनि देव नौवें भाव में है और जातक को कष्टों का सामना करना पड़ रहा है तो उसे बहते पानी में चावल बहाने की सलाह दी जाती है।
*जानकार मानते हैं कि दसवें भाव में शनि हमेशा शुभ फल ही देते हैं। अगर किसी कारण जातक को परेशानी हो तो उसे दस अंधजनों को भोजन करना चाहिए और शराब से दूर रहना चाहिए।
*ग्यारहवें भाव में अगर शनिदेव विराजमान हैं तो जातक का भाग्योदय चालीसवें साल में होता है। ज्योतिषियों के अनुसार ऐसी स्थिति में जातक को 43 दिन तक जमीन पर तेल या शराब गिराना चाहिए। साथ ही शराब आदि से परहेज करना चाहिए।
*लाल किताब कुंडली के 12वें भाव या घर में शनिदेव के दंड से पीड़ित जातकों को पंडित 12 बादाम को एक काले कपड़े में बांधकर किसी अंधेरी जगह रखने की सलाह देते हैं।
लाल किताब के यह टोटके और उपाय बेहद सटीक साबित होते हैं लेकिन बिना कुंडली देखे इनका इस्तेमाल बुरे प्रभाव भी दिखा सकता है। किसी भी उपाय या टोटके को करने से पहले भली-भांति कुंडली निरीक्षण करवा लें।
शनि की भूमिका (Effects of Saturn in Lal Kitab Kundali)
ज्योतिष मतो के अनुसार सूर्य देव के पुत्र शनि दंड के देवता है। मानव अपने जीवन में जो बुरे कार्य करता है उसे उसका दंड अवश्य मिलता है और यह दंड शनि देव देते हैं। लाल किताब कुंडली में शनि ग्रह अगर पहले, चौथे, सातवें या दसवें भाव में हो तो अशुभ फल देते हैं।
Lal Kitab Remedies for Shani (Saturn)
शनि के दोषयुक्त होने या अशुभ फल से बचने के लिए लाल किताब में कई तरह के उपायों का वर्णन किया गया है जिनमें से कुछ निम्न हैं:
*लाल किताब कुंडली के प्रथम भाव या घर में बैठे शनि के प्रकोप से बचने के लिए जातकों को बंदरों की सेवा और केले के पेड़ में दूध देने जैसे उपाय बताएं जाते हैं।
*द्वितीय भाव में बैठे शनिदेव की पीड़ा शांत करने के लिए 43 दिन नंगे पांव मंदिर जाना चाहिए और सांपों को दूध अर्पित करना चाहिए।
*तीसरे भाव में बैठे शनि देव के कारण अगर जातक को कुछ अशुभ परिणामों का सामना करना पड़ रहा है तो उसे तीन कुत्तों की सेवा करने की सलाह दी जाती है। साथ ही ऐसे जातको को आंख की दवाई दान देने को कहा जाता है।
*चौथे भाव में बैठे शनि देव की पीड़ा शांत करने के लिए लाल किताब ज्योतिषी सांप को दूध और गाय व बैल को दूध-चावल खिलाने की सलाह देते हैं।
*पांचवे भाव या घर में अगर शनि नीच फल देने वाले हैं तो लाल किताब के उपायनुसार जातक को लड़के के जन्मदिन पर नमकीन चीजें बांटने की सलाह दी जाती है। साथ ही ऐसे जातकों को मंदिर में बादाम बांटने और उनमें से कुछ अपने घर में लाने की सलाह दी जाती है।
*कुंडली में अगर शनिदेव छठे भाव में आकर जातक को उपेक्षित फल दें तो जातक को काले कुत्ते की सेवा करनी चाहिए। कहा जाता है कि ऐसी स्थिति में बहते हुए पानी में नारियल और बादाम बहाना भी शुभ होता है।
*सातवें भाव में विराजमान सूर्यपुत्र शनि के दंड से बचने के लिए जातक को चीनी सहित एक बंसी जमीन में दबाने और काली गाय की सेवा करने के सलाह दी जाती है।
*लाल किताब के अधिकतर जानकार बताते हैं कि आठवें भाव के अगर शनिदेव नीच फल देवें तो जातक को चांदी का एक आयताकार टुकड़ा जमीन में दबा देना चाहिए।
*लाल किताब के अनुसार अगर शनि देव नौवें भाव में है और जातक को कष्टों का सामना करना पड़ रहा है तो उसे बहते पानी में चावल बहाने की सलाह दी जाती है।
*जानकार मानते हैं कि दसवें भाव में शनि हमेशा शुभ फल ही देते हैं। अगर किसी कारण जातक को परेशानी हो तो उसे दस अंधजनों को भोजन करना चाहिए और शराब से दूर रहना चाहिए।
*ग्यारहवें भाव में अगर शनिदेव विराजमान हैं तो जातक का भाग्योदय चालीसवें साल में होता है। ज्योतिषियों के अनुसार ऐसी स्थिति में जातक को 43 दिन तक जमीन पर तेल या शराब गिराना चाहिए। साथ ही शराब आदि से परहेज करना चाहिए।
*लाल किताब कुंडली के 12वें भाव या घर में शनिदेव के दंड से पीड़ित जातकों को पंडित 12 बादाम को एक काले कपड़े में बांधकर किसी अंधेरी जगह रखने की सलाह देते हैं।
लाल किताब के यह टोटके और उपाय बेहद सटीक साबित होते हैं लेकिन बिना कुंडली देखे इनका इस्तेमाल बुरे प्रभाव भी दिखा सकता है। किसी भी उपाय या टोटके को करने से पहले भली-भांति कुंडली निरीक्षण करवा लें।
Comments
Post a Comment